Wednesday, March 9, 2011




भारतीय संस्कृति-धर्म एवं सभ्यता के त्रिसंगम के समान परम श्रद्धेय स्वामी धर्मदेव जी ( महाराज श्री ) हमारी युग चेतना के सजग प्रहरी और धर्म परायण जीवन के प्रेरक दाता हैं। आपने समस्त भारत में श्रीमद् भागवत भागीरथी, मानस मंदाकिनी एवं अलकनंदा रूपी श्रीमद् देवी भागवत के माध्यम से कोटि-कोटि जन मानस को भगवद परायण जीवन जीने की प्रेरणा दी है।

पूज्य महाराज श्री आज अपनी अनूठी संगीतमय शैली, सारगर्भित भागवत विवेचना, मधुर वाणी द्वारा वर्तमान परिप्रेक्ष्य में कथाओं का भक्ति रसपान कराने में एक उत्कृष्ट स्थान रखते हैं।

हरियाणा की धरती की सन्तानों के लिए यह बड़े गौरव की बात है कि पूज्य महाराज श्री का जन्म जमदग्नि ऋषि की तपोभूमि, जीन्द के निकट ग्राम-जामनी में हुआ। स्नातकोत्तर (एम.ए.) तक की उच्च शिक्षा परिपूर्ण कर पूज्य महाराज श्री ने वि.स.2054 मकर संक्रान्ति के पावन पर्व पर सन्यास दीक्षा ग्रहण की।

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